कोलेस्ट्रॉल को कर रहे है नजरअंदाज, तो हो जाएं सावधान

Written by Oye Zindagi Team

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कोलेस्ट्रॉल वैक्स जैसा एक तत्व है, आपका शरीर नर्व्ज़ को प्रोटेक्ट करने, सेल टिश्यू बनाने और कुछ खास हार्मोन्स बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करता है। शरीर के लिए जरूरी कोलेस्ट्रॉल आपका लिवर बनाता है। जो कोलेस्ट्रॉल आपको खाने की चीजों (जैसे कि अंडे, मीट और डेयरी उत्पाद) से मिलता है, वह एक्स्ट्रा होता है और बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

अनहेल्दी है कोलेस्ट्रॉल का लेवेल ज्यादा होना

कुछ कोलेस्ट्रॉल आपकी अच्छी हेल्थ के लिए जरूरी है, लेकिन आपके ब्लड मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी ज्यादा होने से आपको हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल आपकी आर्टरीज़ (हार्ट से शरीर के बाकी अंगों तक ब्लड पहुंचाने वाली नसें) मे जमा हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल एक जगह इकठ्ठा होकर प्लाक यानि थक्का बन जाता है, इससे आपकी नसें संकरी (नैरो) और हार्ड हो जाती हैं (जिसे आर्थेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं)। थक्का बड़ा होने से नसें पूरी तरह से बंद हो सकती हैं। अगर हार्ट की मसल्स को ब्लड पहुंचाने वाली नसें ब्लॉक हो जाती हैं तो हार्ट अटैक हो सकता है। ऐसे ही अगर आपके ब्रेन तक ब्लड पहुंचाने वाली नस ब्लॉक ही जाती है तो आपको स्ट्रोक हो सकता है।

कब शुरू करें कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट?

35 साल से अधिक उम्र के पुरुषों और 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर साल कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए। आपके कोलेस्ट्रॉल के लेवेल और हार्ट की बीमारियों के अन्य रिस्क फैक्टर को देखते हुए भी आपको यह टेस्ट कराने का फैसला लेना होता है।

हार्ट की बीमारियों के रिस्क फैक्टर

  • पहले हार्ट अटैक हो चुका हो
  • 45 साल या इससे अधिक उम्र वाले पुरुष होना
  • 55 साल या इससे अधिक उम्र वाली महिला
  • मीनोपौज होने के दौर से गुजर रही या वह महिलाएं जिनका मीनोपौज हो चुका हो
  • किसी करीबी रिश्तेदार (माता-पिता या भाई-बहन) को हार्ट की बीमारी हो चुकी हो।
  • स्मोकिंग की आदत
  • हाई ब्लड प्रेशर या डायबीटीज़ होना
  • वजन सामान्य से अधिक होना या मोटापा
  • फिजिकली एक्टिव न होना

कितने तरह के होते हैं कोलेस्ट्रॉल?

कोलेस्ट्रॉल आपके ब्लड मे अलग-अलग प्रकार के पैकेजेज़ मे दौड़ता है, जिसे लेपोप्रोटीन कहते हैं। लो-डेंसिटी लेपोप्रोटीन (एलडीएल) शरीर मे कोलेस्ट्रॉल डिलीवर करता है। जबकि हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन्स (एचडीएल) ब्लडस्ट्रीम से कोलेस्ट्रॉल को हटाता है।

यही वजह है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होना शरीर के लिए बुरा होता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल अधिक होना अच्छा रहता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका कुल कोलेस्ट्रॉल लेवेल एलडीएल के लेवल की वजह से अधिक है तो आपको हार्ट की बीमारियां या स्ट्रोक होने का खतरा अधिक हो सकता है, लेकिन ऐसा एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की वजह से है तो खतरा कम रहता है।

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कोलेस्ट्रॉल लेवेल बैलेंस करने के लिए अपनाएं ये तरीके

  • -सिगरेट या कोई भी अन्य तंबाकू प्रॉडक्ट इस्तेमाल न करें।
  • -फिजिकल एक्सरसाइज को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएँ।
  • -हेल्दी लो फैट डाइट लें, जिसमे फल व सब्जियाँ ज्यादा हों।
  • -ज्यादा अल्कोहल लेने से बचें।

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