जब भी हम Cancer के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में एक डरावना विचार आता है क्योंकि यह एक बेहद घातक बीमारी है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे अगर समय रहते नहीं रोका गया तो बड़ी समस्या बन सकती है। यह एक गंभीर समस्या है जिससे वर्तमान में हर तीसरा व्यक्ति प्रभावित हो रहा है।
कैंसर आम तौर पर लोगों को बेहद दुखी और उत्साहहीन बना देती है क्योंकि इस बीमारी के लिए विज्ञान अभी तक एक सम्पूर्ण इलाज नहीं निकाल पाया है, जिससे इसे खत्म किया जा सके।
इस लेख में हम कैंसर के बारे में विस्तार से बात करेंगे, कि कैंसर क्या है (What is Cancer in Hindi), प्रकार, कारण, रोकथाम और इसके इलाज के बारे में चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम ये भी जानेंगे कि इस बीमारी का सामना कैसे कर सकते हैं। हम आगे बढ़कर इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में नवीनतम तकनीकों और इसकी जांच के बारे में भी जानेंगे।
कैंसर क्या है | What is Cancer in Hindi
Cancer Kya Hai : कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्य के शरीर की खराब कोशिकाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को कम करती है। इस बीमारी में, कुछ खराब कोशिकाएँ हमारे शरीर में अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और वह समय के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलना शुरू कर देती हैं।
कैंसर हमारे शरीर में कई कारणों से जन्म ले सकता है जैसे तंबाकू का सेबन, धूम्रपान, शराब पीना, अशुद्ध खान-पान और जीवाणुओं से संक्रमित होना आदि। इसके अलावा अन्य फैक्टर्स भी होते हैं जो इस Cancer के उत्पादन में योगदान देते हैं, जैसे जीवाणुओं से संक्रमण, नाखूनों के काटने से या अन्य जलवायु के कारण जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम करते हैं।
मनुष्य में Cancer के लक्षणों में शरीर का वजन कम होना, बुखार, थकान, त्वचा का सूखापन, शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द और अपचय शामिल हो सकते हैं, इसलिए अगर आपको इस तरह लक्षण दिखाएं तो तुरंत डॉक्टर को सूचित करे।
कैंसर कितने तरह का होता है | Types of Cancer in Hindi
Cancer कई बीमारियों का विशाल समूह है जिसमें कई प्रकार की बीमारियां शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक का अपना जन्म व विकास अलग – अलग तरह से होता है। इसलिए, इनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। यहाँ आपके लिए कैंसर कितने तरह के होते है, इसकी जानकारी दी गयी है :
कर्किनोमा: कैंसर का ये तरीका बाकी तरीकों से अधिक सामान्य है और आमतौर पर ये त्वचा, नस, लेवर, पंखुड़ियाँ और मांसपेशियों में होता है। इसके लक्षण नोएड्स, घाव जो ठीक नहीं हो रहे हो, पुराना घाव से खून खून निकलना , त्वचा में चोट के निशान आदि शामिल हैं।
सर्कोमा: इस तरीके का कैंसर शरीर के अन्दर किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह आमतौर पर अस्थि, फेफड़ों, इम्यून सिस्टम और एक्सरक्रिन सिस्टम में होता है। इसके लक्षण सांस लेने में परेशानी, किसी एक जगह पर दर्द, शरीर में ठंड या गर्माहट, दर्द या अन्य असामान्य शारीरिक विकार होते हैं।
लिम्फोमा कैंसर: लिम्फोमा Cancer एक तरह का ब्लड कैंसर होता है, जो मनुष्य के लिम्फ सिस्टम में होता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जब आपके शरीर में लिम्फोसाइट्स नामक सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं और स्वस्थ शरीर को धीरे – धीरे नुकसान पहुंचाते हैं। लिम्फोमा के लक्षणों में उबकाई, रात को पसीने की बढ़ती गति, थकान, बुखार, अधिक रक्तस्राव, गिलासी से संबंधित समस्याएं और अपेटाइट कम होन है।
मायलोमा कैंसर: मायलोमा Cancer को बोन मारोग कैंसर के नाम से भी जाना जाता है, जो कि शरीर की हड्डियों के अंदर मौजूद प्रोटीन के असामान्य विकास से होता है। मायलोमा के लक्षणों में बोन पैन, थकान, एक या एक से अधिक हड्डियों में दर्द, वजन कम होना, संक्रमण, जांघों में दर्द और पेशाब में संक्रमण आदि शामिल है।
यह Cancer के मुख्य प्रकार है, हालंकि इनके प्रत्येक के अंदर कई तरह के कैंसर होते है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे कि ब्रेस्ट, गुर्दे, लिवर, फेफड़ों और मस्तिष्क आदि में होते हैं। इन सभी Cancer के नाम इस प्रकार हैं:
ब्रेन कैंसर: ब्रेन कैंसर आमतौर पर उच्च ध्वनि स्तर वाले इलाकों में अधिक पाया जाता है। इसके लक्षणों में चक्कर आना, शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द या अचानक असंतुलितता शामिल हैं। इसे मस्तिक Cancer के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये मस्तिक में होता है।
फेफड़ों का कैंसर: फेफड़ों के कैंसर के लक्षण में खांसी और सांस लेने में परेशानी शामिल है। अन्य संकेत में थकान, सीने में दर्द, वजन घटना और कभी कभी खून की उलटी भी होती है।
गुर्दे का कैंसर: गुर्दे का कैंसर ज्यादातर वयस्कों में होता है। इसके संकेतों में पेशाब में रक्त आना, बहुत अधिक पेशाब आना आदि शामिल है।
कोलोरेक्टल कैंसर: कोलोरेक्टल कैंसर आमतौर पर बच्चों और बूढ़ों व्यक्तियों में होता है और इसे होने पर अपच, पेट दर्द, उलटी आदि लक्षण दिखाई देते है।
ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर स्तन के किसी भी हिस्सेमें असामान्य रूप से बढ़ने वाली गांठ या ट्यूमर होता है। इसके मुख्य लक्षणों में स्तन के किसी एक या दोनों तरफ गांठ, स्तन की त्वचा में फोड़ा हो जाना या स्तन में लाल दबाव शामिल है।
प्रोस्टेट कैंसर: प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि में असामान्य रूप से विकास होता हैं। इसके मुख्य लक्षण में पेशाब करने के दौरान दर्द, अधिक पेशाब करना, पेशाब के समय ब्लडी या काले रंग का पेशाब आदि शामिल है।
कैंसर के लक्षण क्या है | Cancer Symptoms in Hindi
कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है, जो कि कई प्रकार के होते हैं। इस बीमारी को समझने के लिए, हमें इसके लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है। Cancer के विभिन्न प्रकारों में उनके लक्षण भिन्न – भिन्न होते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण देखने को मिलते हैं, जो हमारे ध्यान को आकर्षित करते हैं।
कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- हमारे शरीर के किसी एक अंग में एक या एक से अधिक गांठ बनने लगना।
- भूख न लगना
- बार-बार उल्टी होना
- धीरे धीरे वजन कम होना या बिना किसी कारण के वजन कम होना
- बुखार एंव रक्तचाप
- सामान्य से अधिक थकान या कमजोरी महसूस होना
- गंध या स्वाद में बलाव महसूस करना
- खून के निकलने का अनियमित होना
यदि आपको इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो जल्द ही आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और जांच करानी चाहिए। क्योंकि समय रहते कैंसर की पहचान करने से उसे ठीक करने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं।
कैंसर क्यों होता है | Cancer Causes in Hindi
वर्तमान समय में कैंसर एक आम समस्या बन गयी है क्योंकि ये जीवनशैली के बदलाव के कारण बढ़ता जा रहा है। Cancer रोग के कई कारण हो सकते हैं जिसकी बजह से एक व्यक्ति में कैंसर हो सकता है। इसलिए नीचे हम कुछ पहलुओं को जानेगे जिससे हमें समझने में आसानी होगी, कि कैंसर क्यों होता है।
फिजिकल फैक्टर्स
एक व्यक्ति में कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं। फिजिकल फैक्टर्स में आयनिक विकिरण जैसे एक्स-रे और गामा रेडिएशन एक मुख्य कारण हो सकता हैं। यह रेडिएशन हमारे शरीर में सेल के विकास में बदलाव ला सकते है और Cancer की बजह से होने बाले अनियमित विकास की संभावना को बढ़ा सकता है। यह रेडिएशन लंबे समय तक हमारे शरीर में रहती है और Cancer के उत्पादन में एक मुख्य भूमिका निभाती है।
केमिकल फैक्टर्स
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कैंसर कई कारणों से हो सकता हैं, जिसमें रसायन तत्व जैसे तंबाकू और धुएँ का उपयोग सेंसर का एक मुख्य कारण हो सकता है। तंबाकू और धुम्रपान कैंसर के विकास के लिए सबसे बड़ा कारण माने जाते है। तंबाकू और नशीले पदार्थ शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाते है जिनसे शरीर असमान तरीके से विकसित होता है और यह विकास असमय हो सकता है और इसका परिणाम कैंसर भी हो सकता है, इसलिए जितना हो सके नशीले पदार्थो से दूसर रहे।
धुएँ का सेवन भी कैंसर के विकास का एक मुख्य कारण हो सकता है। साथ ही धुएँ से वायुमंडल को भी नुकसान पहुंचता है जिससे शरीर में अनियमित विकास होता है और कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए, यदि आप कैंसर से बचना चाहते हैं, तो तंबाकू और धुएँ से हमेशा दूर रहें। इन रसायन तत्वों से दूर रहने से हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा और कैंसर के विकास के खतरे को कम करने में मदद करेगा।
बायोलॉजिकल फैक्टर्स
कैंसर कई जीववैज्ञानिक कारणों से भी होस सकता हैं जीववैज्ञानिक कारक कई तरह के होते हैं जो अक्सर शरीर के आंतरिक कार्यों से जुड़े रहते हैं।
सबसे अहम् जीववैज्ञानिक कारण है आपके जीनों में होने वाले बदलाव और इसे जीनेटिक म्यूटेशन के नाम से भी जाना जाता है जो आपके जीनों में अनियमितता का कारण बनता है। इसके बजह से, शरीर को नियंत्रित करने वाले जीनों में अनियमितताएं होती हैं जो शरीर को विकारपूर्ण बना सकती हैं। यह विकास असमय हो सकता है और इसका परिणाम Cancer के विकास के रूप में देखा जा सकता है।
दूसरा जीववैज्ञानिक कारण है वायरस या अन्य जीवाणु जो शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ये जीवाणु शरीर में मौजूद ऊर्जा संरचनाओं को परिवर्तित कर सकते हैं जिससे शरीर में विकास और उत्पत्ति की अनियमितताएं होती हैं जो Cancer के विकास का कारण बनती हैं।
ये थे कुछ जीववैज्ञानिक कारण जो कैंसर के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।
रिस्क फैक्टर्स
अगर किसी व्यक्ति में Cancer विकसित हो रहा है तो उसके कुछ रिस्क फैक्टर भी हैं। ये रिस्क फैक्टर व्यक्ति की उम्र, जीवन शैली, उपयोगिता और उसके आसपास के माहौल से जुड़े होते हैं।
- उम्र एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर है।
- देखा गया है कि ज्यादातर कैंसर वृद्धावस्था में विकसित होते हैं।
- जीवन शैली भी एक अहम रिस्क फैक्टर मानी जाती है।
- अनियमित खान-पान, अल्कोहल और तंबाकू का उपयोग, विशेष रूप से तंबाकू से बनी वसा जो लंबे समय तक नष्ट नहीं होती है, कैंसर बनने का कारण बनती है।
Cancer के अन्य रिस्क फैक्टर में विशेष रूप से उच्च रक्तचाप, बहुत अधिक वजन या मोटापा होना आदि शामिल हैं।
कैंसर स्टेज किसे कहते है | Cancer Stages in Hindi
Cancer एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो कि शरीर में ट्यूमर की विकसिति से जन्म लेती है। ट्यूमर अक्सर कैंसर की पहचान करने में मदद करता है। ट्यूमर के आधार पर, कैंसर को चार स्टेजों में विभाजित किया गया है।
स्टेज 0: यह स्टेज नॉन-कैंसरस कहलाती है, जिसमें कोशिकाओं में असामान्यता होती है, जो बाद में कैंसर का रूप ले सकती हैं।
स्टेज I: इस स्टेज में शरीर के किसी हिस्से में ट्यूमर बहुत छोटा होता है और यह केवल एक अंग में ही होता है।
स्टेज II और III: इन स्टेजों में ट्यूमर का आकार बढ़ने लगता है और कैंसर के नजदीकी अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलता जाता है।
स्टेज IV: यह कैंसर की सबसे खतरनाक स्टेज होती है, जो मेटास्टेटिक कैंसर के रूप में भी जानी जाती है। इस स्टेज में, कैंसर शरीर के अन्य अंगों में भी फैलने लगता है। इस स्टेज में रोगी का इलाज करना मुश्किल होता है और इसे ठीक करना भी बहुत कठिन हो जाता है।
कैंसर की जांच कैसे करे | Cancer Diagnosis in Hindi
कैंसर के इलाज के लिए पहले इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है, इससे पहले कि कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक फैल जाए।
कैंसर की पहचान नीचे दी गई तकनीकों का उपयोग करके कर सकते है :
बायोप्सी
कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी का उपयोग किया जाता है। इसमें कैंसर से संबंधित अंग से कुछ नमूने लिए जाते हैं और इन नमूनों को लैब में जांच किया जाता है।
ऊतकों की हिस्टोपैथोलॉजीय अध्ययन
इस तकनीक में कैंसर की पहचान करने के लिए ऊतकों की हिस्टोपैथोलॉजीय का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन ऊतकों के बारे में जानकारी देता है कि क्या वे स्वस्थ हैं या Cancer से प्रभावित हैं।
रेडियोग्राफी तकनीक
रेडियोग्राफी तकनीक का उपयोग करके भी कैंसर की जांच की जा सकती है। इसमें कैंसर से प्रभावित शरीर के अंगों की फोटोग्राफी ली जाती है जो कि एक कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देती है।
कंप्यूटेड टोमोग्राफी
कंप्यूटेड टोमोग्राफी का उपयोग करके शरीर के अंगों की जांच की जाती है। इसमें Cancer से प्रभावित अंगों की एक सीरीज ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ियां ली जाती हैं और फिर कंप्यूटर के माध्यम से उन्हें समन्वित किया जाता है ताकि एक चित्र बनाया जा सके।
मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग
मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग का उपयोग करके भी शरीर के अंगों की जांच की जाती है। इस तकनीक में मैग्नेटिक तरंगों का उपयोग किया जाता है जो शरीर के भीतर चलते हैं। इस तकनीक में कंप्यूटर इन तरंगों से एक चित्र बनाता है जो अंगों के अंदर की स्थिति को दर्शाता है।
मॉलेक्यूलर बायोलॉजी तकनीक
मॉलेक्यूलर बायोलॉजी तकनीक का उपयोग करके भी कैंसर की पहचान की जा सकती है। इसमें Cancer से प्रभावित अंगों से नमूने लिए जाते हैं और फिर कैंसर की जांच के लिए उन नमूनों के विभिन्न मॉलेक्यूलों का अध्ययन किया जाता है।
कैंसर की रोकथाम कैसे करे | Cancer Prevention in Hindi
Cancer का विकास कैसे होता है ये समझना बहुत जरूरी है, लेकिन समय पर उसे पहचानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जीतनी जल्दी हम कैंसर को पहचानते हैं, उतने ही जल्दी हम इसे रोकने का उपाय खोज सकते हैं।
इसलिए, Cancer के लक्षण पाएं जाने पर कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट कराना बहुत जरूरी है। यह टेस्ट कैंसर के लक्षणों को पहचानने में मदद करता है जो कि आमतौर पर शुरूआती अवस्थाओं में दिखाई देते हैं। अगर समय पर हम इन लक्षणों को पहचान लेते हैं तो हम कैंसर को बढ़ने से रोक सकते हैं।
स्क्रीनिंग टेस्ट में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के साथ-साथ उन्हें उनकी शुरुआती अवस्था में ही इलाज किया जा सकता है। क्योंकि इस अवस्था में उपचार करने में बहुत कम समय लगता है।
इसलिए, यदि आप Cancer के रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानते हैं या आपके परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो कैंसर से पीड़ित है, तो आपको नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट अवश्य कराना चाहिए।
कैंसर जैसी बीमारी को रोकने के लिए, हमें अपनी लाइफस्टाइल में भी थोड़े बदलाव करने की आवश्यकता है। यह बदलाव हमारे स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
आमतौर पर यह देखा गया है कि जिन लोगों की डाइट में ज्यादातर तरल पदार्थ होते हैं जैसे कि मीठा, तेल और चिकन, उनमें कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हमें अपनी डाइट में फल, सब्जियां और फ़ाइबर ज्यादा मात्र में उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, शराब और तंबाकू जैसी खतरनाक चीजों से हमेशा दूर रहना भी जरूरी है।
वैक्सीन के माध्यम से भी कुछ कैंसरों को समय रहते रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए, हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगवाने से हेपेटाइटिस बी से होने वाले कैंसर से बचाव किया जा सकता है।
कैंसर का इलाज कैसे करे | Cancer Treatment in Hindi
Cancer दुनिया भर में सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। लेकिन वर्तमान समय में योग्य चिकित्सा तकनीकों और नवीनतम विज्ञान के उपयोग से, कैंसर के इलाज विभिन्न तरह से किया जाता हैं। इनमें से कुछ हम आपको बता रहे हैं:
सर्जरी – इस प्रक्रिया में शरीर में स्थित कैंसर परतों को शल्य चिकित्सा से निकाला जाता है। यह बेनाइन ट्यूमर के लिए बहुत प्रभावी मानी जाती है।
रेडिएशन थेरेपी – इस थेरेपी में, शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण किरणों का उपयोग किया जाता है।
केमोथेरेपी – केमोथेरेपी दवाओं का उपयोग शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। यह धीमी गति से विकसित होता है और कई महीने तक चल सकता है।
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