पाइल्स (Piles) या हेमोरॉइड या बवासीर एक आम समस्या हैं, जो किसी को भी हो सकती है ये बीमारी मनुष्य के रेक्टम के अंदर या गुदा के बाहर खुजली और मलत्याग करने में परेशानी पैदा कर सकती हैं। बवासीर को घरेलू उपचारों की मदद से ठीक किया जा सकता हैं, लेकिन कभी-कभी इसके लक्षण बहुत बढ़ जाते है और परेशानी पैदा करते है इस स्थिति में आपको एक अच्छे डॉक्टर से इलाज कराने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही फाइबर से भरपूर आहार लेना पाइल्स से बचाने में काफी मददगार साबित होता है।
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि बवासीर का कौन सा इलाज कारगर है (Piles Treatment in Hindi), बवासीर के लक्षण (Piles Symptoms in Hindi) और कैसे इसे आयुर्वेदा, घरेलु उपाय और कुछ टिप्स को अपनाकर ठीक कर सकते है?
बवासीर क्या है?
Piles Meaning in Hindi : अंग्रेजी में बवासीर को Piles कहा जाता है। यह बीमारी बहुत ही कष्टदायक होती है। इसमें मलत्याग(potty) करने के रास्ते में मस्सा हो जाने की वजह से मलद्वार करने में काफी असहनीय दर्द होता है। बवासीर(piles) दो तरह के होते है एक मलाशय के अन्दर और दूसरा मलाशय के बाहर की तरफ।
अंदर की Piles में मस्सा मलाशय के अन्दर की ओर होता है जिसमे कब्ज की वजह से जोड़ लगाने पर मस्सा बाहर निकल आता है और फिर बहुत दर्द भी होता है। बाहर के बवासीर में मस्सा मलाशय के बाहर होता है जिसमे दर्द नहीं होता है लेकिन कभी कभी कब्ज की वजह से खून निकल आता है।
बवासीर के मरीज को गुड़, अंगूर, आम आदि से परहेज करना चाहिए और साथ ही बताए जाने वाले रामबाण इलाज का इस्तेमाल करना चाहिए।
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बवासीर के प्रकार
अंदर की बवासीर आपके एनल कैनाल के अंदर शुरू होता हैं, लेकिन वे आपके गुदा से बाहर आ सकते हैं। Piles के जांचने के आधार पर ग्रेड किए जाते हैं कि वह कितना बाहर आते हैं और उसके बाद क्या होता है।
- पहले डिग्री के पाइल्स में खून निकलता हैं लेकिन वह आपके गुदा से बाहर नहीं आता हैं।
- दूसरे डिग्री के पाइल्स में खून पखाने के समय आपके गुदा से बाहर आता हैं, लेकिन अपने आप ही अंतर चला जाता है।
- तीसरे डिग्री के पाइल्स में आपके गुदा से बाहर आते हैं और आपके फिजिकली अंदर घुसाये बिना अंदर नहीं जाता हैं।
- चौथे डिग्री के पाइल्स हमेशा आपके गुदा से लटकते हैं और बहुत जोर लगाने के बाद ही अंदर जाता है। इसके अलावा यदि उनमें रक्त जमा हो जाता है तो वे बहुत फूले हुए और दर्दनाक हो जाते हैं।
बाहरी पाइल्स मनुष्य के एनल कैनाल के नीचे विकसित होने वाली सूजन होती हैं, जो मनुष्य गुदा के करीब होती हैं। बाहरी पाइल्स रक्त जमा होने पर बहुत दर्दनाक हो सकता है।
एक मनुष्य में एक साथ आंतरिक और बाहरी पाइल्स दोनों होना संभव है।
बवासीर के लक्षण | Piles Symptoms in Hindi
अगर आप बवासीर के लक्षण को जानना चाहते है तो नीचे दिए गए पॉइंट्स को देखे:
- मलाशय में दर्द का होना।
- मलाशय से कभी कभी खून का आना।
- बार बार कब्ज होना।
- भुख कम लगना।
- थोडा कमजोर महसूस करना।
- खुजली होना।
- पेट में गैस का बनना।
ये सभी बवासीर के लक्षण है।
बवासीर के कारण
एक व्यक्ति में पाइल्स होता हैं जब आपके एनल कैनाल में वेन सूज जाते हैं, जो विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि :
- यदि व्यक्ति टॉयलेट जाते समय जोर लगाते हैं, उदाहरण के लिए अपच, या लंबे समय तक दस्त होने के कारण
- बढ़ते उम्र के साथ एनल कैनाल कमजोर हो जाते है, जिससे पाइल्स के होने की संभावना अधिक हो जाती है
- लगातार खांसी का होना।
- भारी वजन की वस्तुओं को उठाना।
गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में अधिक दबाव के कारण भी पाइल्स हो सकता हैं, हालंकि Piles आमतौर पर औरतों में जन्म देने के बाद ठीक हो जाता हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि तनाव और पाइल्स के बीच एक संबंध है, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है हालंकि पाइल्स होना तनावपूर्ण हो सकता है।
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बवासीर का इलाज (Piles Treatment at Home in Hindi)
हमारे खान – पान में काफी बदलाव होने के कारण काफी सारे लोगो को बवासीर की शिकायत हो जाती है। ज्यादातर मामलो में जो लोग काफी मसालेदार, खट्टा और बाहर का खाना खाते है उन्हें Piles होने की उम्मीद ज्यादा होती है।
जो लोग खाने में अधिक मसाले का प्रयोग करते है उन्हें भी बवासीर होने की उम्मीद है, तो चलिए समझते है इसके लक्षण एंव Piles Treatment at Home in Hindi…
- 1 चम्मच दरदरा पीसा हुआ काले तील को दूध के मलाई या मक्खन में मिला कर खाने से Piles में आराम मिलता है साथ ही मलत्याग(potty) के समय आने वाले खून भी बंद हो जाते है।
- आंवला जिसे पाइल्स का रामबाण दवा कहा जाता है इसका चूरण बना ले और इस चूरण को अगर शहद (honey) में मिला कर हर रोज कम से कम दो बार खाया जाये तो बवासीर में राहत मिलती है।
- बवासीर में मस्से हो जाने की वजह से मलत्याग के समय काफी दर्द होता है। अगर उस मस्से पर जीरा को पीसकर लगाया जाये तो दर्द में आराम मिलाती है।
- बवासीर के मरीज को मलत्याग (potty) के समय मलाशय में बहुत दर्द होता है जो की कभी कभी सहन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर नीम के छिलके के साथ 6 से 7 ग्राम निंबौरी के पाउडर को हर रोज सुबह – सुबह उठने के साथ और रात को सोते समय पानी के साथ ले, इससे काफी राहत मिलती है।
- कई बार कब्ज की वजह से भी लोग बवासीर जैसे बिमारियों का शिकार हो जाते है। ऐसे में दही या छाछ का हर रोज सेवन करने से लोग बवासीर के लिए रामबाण इलाज है। इसके सेवन से बवासीर के मरीज को राहत भी मिलती है। यह ना केवल बवासीर से छुटकारा पाने में मदद करता है बल्कि और कई पेट की बिमारियों से भी बचाता है।
मुख्यतः Piles दो प्रकार के होते है, पहला Internal Piles और दूसरा External Piles
Internal Piles में मलद्वार के अन्दर की नसों में सुजन हो जाती है, और इसमे blood का रिशाव अन्दर ही होता है। परन्तु External Piles में मलद्वार के बाहर नसों में सुजन हो जाती है, यह काफी दर्द भरा होता है। इसके अलावा आप बवासीर के लिए Anovate cream का इस्तेमाल कर सकते है परन्तु पहले अपने डॉक्टर से इसकी सलाह जरुर लें।
बवासीर की जाँच कैसे होती है?
बवासीर की जांच के दौरान डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे उसके बाद ही अपनी जाँच शुरू करेंगे। डॉक्टर आपके रेक्टम को महसूस करने के लिए आपकी गुदा में अपनी उंगली को हल्के से डाल सकते हैं हालंकि वह दस्ताने पहनें होंगेऔर इस प्रक्रिया को अधिक सुखद बनाने के लिए जेल का उपयोग करेंगे।
बवासीर के मरीजों में बहुत खून बहने के कारण एनीमिया होने की जांच करने के लिए एक ब्लड टेस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है। एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जहां व्यक्ति के खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है या हीमोग्लोबिन की भी कमी होती है।
यदि आपको बवासीर जैसे लक्षण दिखाएं दे रहे है, तो आपको तुरंत ही इसकी जांच करानी चाहिए, क्योंकि किसी भी बीमारी को शुरुआती समय में जांच कर जल्दी ठीक किया जा सकता है इसके दूसरी ओर देरी होने पर आपके लिए परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और इलाज में भी बहुत वक्त लगता है।
बवासीर से जुडी सावधानियां
बवासीर पीड़ित व्यक्ति को कुछ महत्वपूर्ण बाते को ध्यान रखना चाहिए, बवासीर के दरमियान ये आपके जीवन शैली को आसान कर देगा, और साथ ही यह आपको इस बीमारी से लड़ने मे भी काफी सहायक शिद्ध होगा। तो चलिए जानते है ऐसे कौन से Precautions है जिसे बवासीर के समय ध्यान देना चाहिये:
- बवासीर पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले अपने दिनचर्या में भोजन करने का समय निर्धारित करे एवं निर्धारित समय अनुसार भोजन ग्रहण करे।
- अपने भोजन में रोजाना कम से कम एक रेसेदार सब्जी, सलाद और फल को शामिल करे। कोशिश करे कि भोजन में तीखी मिर्च और मसाले का प्रयोग न करे। नियमित रूप से पानी पिए एवं अपने दिनचर्या में चाय, कॉफ़ी जैसे पैय प्रदार्थ का सेवन नही करे।
- अपने आहार में उन व्यंजनों का इस्तेमाल बंद करे जो आपके पेट में कब्ज बनाते हो। मल का त्याग करते समय किसी प्रकार का तनाव न करे।
- अगर आप चाय या कॉफ़ी जैसे प्रदार्थ का सेवन करते है तो इनके जगह छाछ का सेवन करे।
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