भारत में किडनी फेल (Kidney Failure) होने के ज्यादातर लक्षण किडनी खराब होने के बाद ही सामने आते हैं। हमारे देश में 75% रोगीयों की किडनी के खराब होने का पता बिमारी के बहुत बढ़ जाने के बाद चलता है।
किडनी के खराब होने की शुरूआत में खून में युरिया का स्तर बढ़ जाता है। यह यूरिया अमोनिया के रूप में उत्पन होता है। जिसके कारण मुंह से बदबू आने लगती हैं और जीभ का स्वाद भी बिगड़ जाता है।
किडनी फेल (Kidney Failure) संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल 750,000 से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। इसके अलावा दुनिया भर में लगभग 2 मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित है।
किडनी फेल (Kidney Failure) होना क्या होता है?
किडनी फेल होना यानि आपकी एक या दोनों किडनी ठीक से काम न करना। Kidney Failure होना मनुष्य में कभी-कभी अस्थायी होता है और जल्दी ठीक भी हो जाती है। हालंकि कुछ स्थितियां ऐसी होती है जिनके कारण किडनी धीरे-धीरे खराब होने लगती है जिसे Kidney Failure का नाम दिया जाता है।
किडनी फेल होना किडनी रोग का सबसे गंभीर रूप होता है, अगर इसका उपचार समय पर न किया जाए तो ये जानलेवा माना जाता है। किसी कारणवश अगर आपकी Kidney Failure हो जाती है, तो आप उपचार के बिना कुछ दिनों या हफ्तों तक ही जीवित रह सकते हैं।
किडनी फेल (Kidney Failure) किससे प्रभावित होता है?
किडनी फेल किसी भी व्यक्ति की हो सकती है हालांकि, यदि आपके निम्नलिखित में से किसी भी बीमारी से ग्रस्त है, तो Kidney Failure होने का खतरा अधिक हो सकता है:
- मधुमेह
- उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन)
- हृदय रोग
- किडनी रोग
- 60 साल से अधिक उम्र हो।
- असामान्य किडनी संरचना
- ब्लैक, हिस्पैनिक, नेटिव अमेरिकन, अलास्का नेटिव या फर्स्ट नेशन
- दर्द निवारक दवाओं, जिनमें गैर-स्टेरॉइड एंटी-इन्फ्लेमेट्री दवाएं (एनएसएआईडी) जैसी बाजार में मिलने वाली दवाएं शामिल हैं, जिनका लंबे समय तक इस्तेमाल किया गया हो।
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किडनी फेल होने पर क्या होता है?
एक व्यक्ति में अनुमानित ग्लोमेरुलर फ़िल्ट्रेशन दर (eGFR) के अनुसार Kidney Failure को विभिन्न चरणों में वर्गीकृत किया गया है :
व्यक्ति का eGFR एक गणना है जो मापता है कि आपकी किडनी पदार्थों को कैसे फ़िल्टर कर रही है। एक सामान्य eGFR लगभग 100 होता है जबकि सबसे कम eGFR 0 होता है, जिसका मतलब है कि व्यक्ति में कोई भी किडनी काम नहीं कर रही है।
किसी भी Kidney Failure के चरण निम्नलिखित हैं:
चरण I. अगर आपका जीएफआर 90 से अधिक है लेकिन 100 से कम है तो आपकी किडनियों में हल्का नुकसान हो सकता है हालंकि वह अभी भी सामान्य रूप से काम करती रहेंगी।
चरण II. अगर आपका जीएफआर 60 से 89 के बीच है तो आपकी किडनियों में चरण I से अधिक नुकसान होगा, लेकिन वह अभी भी अच्छी तरह से काम करती रहेंगी।
चरण III. अगर आपका जीएफआर 30 से 59 के बीच है तो आपकी किडनी काम करने में हल्का या गंभीर नुकसान महसूस करेंगी।
चरण IV. अगर आपका जीएफआर 15 से 29 के बीच है तो आपकी किडनी कार्य में गंभीर नुकसान होता है।
चरण V. अगर आपका जीएफआर 15 से कम है तो आपकी किडनियाँ पूरी तरह से असफल हो रही हैं या असफल होने के बहुत करीब हैं।
किडनी खराब होने के प्रमुख लक्षण
एनीमिया- किडनी का मुख्य कार्य शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को व्यवस्थित बनाये रखना है, लेकिन जब किडनी खराब होना शुरू होती है तो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में रूकावट आ जाती है जिसके कारण एनीमिया हो जाता है।
पीठ दर्द- शरीर के पिछले हिस्से में एक ओर बहुत ज्यादा तेज दर्द होता है। पीठ का दर्द पीठ के नीचले भाग से होते हुए पेड़ू-जांघ के जोड़ तक फैल जाता है तो हो सकता हैं कि किड़नी खराब हो रही हैं।
मूत्र संबंधित परेशानी- किड़नी के खराब होने की शुरूआत में मूत्र का रंग गाढ़ा हो जाता है या फिर मूत्र की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है। इसके अलावा बार-बार मूत्र होने का एहसास होता है। इसके अन्य लक्षणों में मूत्र त्याग के समय दर्द, दबाव और जलन जैसा अनुभव होता हैं। किडनी की खराबी की शुरूआत में मूत्र से मीठी और तीख़ी गंध आती है।
पैरों में सूजन- किडनी शरीर से पानी बाहर नहीं निकाल पाती। जिसके कारण शरीर में पानी भर जाता हैं और पैंरों में सूजन आ जाती हैं।
मूत्र में खुन– जब किडनी खराब होना शुरू होती हैं तो मूत्र में खुन के लाल थक्के दिखाई देते हैं। जरूरी नहीं हैं कि सभी को एक सी समस्या हो विभिन्न लोगों को विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, जैसे मतिभ्रम, अनजाना डर, आदि।
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झाग (foam) जैसा मूत्र- अगर मूत्र त्याग करने के बाद उसमें झाग पैदा हो तो यह मान लेना चाहिए कि किडनी खराब हो सकती हैं किडनी के खराब होने के प्रथम लक्षणों के तौर पर देखा गया हैं, जब शरीर से प्रोटीन मूत्र मार्ग से निकलने लगता हैं तो मूत्र में ज्यादा झाग होता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं हैं कि किडनी खराब होने पर ही मूत्र में ज्यादा झाग दिखाई दें। इसलिए चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
भूख कम लगना- शरीर में गैर जरूरी तत्त्वों के जमा हो जाने के कारण भुख नहीं लगती हैं।
साँस लेने में असुविधा- फेफड़ो में Fluid जमने के कारण शरीर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती जिससे साँस लेने में परेशानी होने लगती है। यह भी देखा गया हैं कि शरीर के कुछ हिस्सो में कंपन या अनैच्छिक हलचल होने लगती है।
शरीर की त्वचा में रैशेज़ या खुजली- शरीर में जहरीले पदार्थों के जम जाने के कारण त्वचा के ऊपर रैशेज़ और खुजली होने लगती हैं। इसे किडनी खराब होने की शुरूआत माना जाता हैं।
यह भी देखा गया हैं कि किड़नी जब खराब होना शुरू होती हैं तो जी मिचलाना या उल्टी होना, शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ जाने के कारण होता हैं। साथ ही मल में रक्त आना भी कभी कभी किडनी खराब होने की ओर संकेत करता है।
डायबिटीज (मधुमेह) – डायबिटीज के कारण धीरे-धीरे किडनी पर इसका असर पड़ता है। पहले किडनी से Urine के रास्ते Protein निकलने लगता है। इसके बाद खुन को साफ कर गंदगी को Urine के रास्ते बाहर निकालने की क्षमता कम होने लगती है। इसलिए Diabetes, High Blood Pressure और Kidney Stone की समस्या से पीडि़त मरीजों को साल में एक बार किडनी जांच करानी चाहिए।
किडनी फेलियर की जांच कैसे की जाती है?
डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट के विभिन्न प्रकारों का उपयोग करते हुए किडनी की जांच करते है और Kidney Failure का पता लगाते है। Kidney Failure की जांच निम्न तरीके से की जा सकती है, हालंकि किस तरीके से जांच की जानी है इसका निर्णय आपके डॉक्टर का होगा।
ब्लड टेस्ट : ब्लड टेस्ट ये दिखाता हैं कि आपकी किडनी विषैले पदार्थों को कितनी अच्छी तरह से निकाल रही हैं। इस प्रक्रिया में जांच कर्ता आपके हाथ से एक नुकीले सुई का उपयोग करके छोटी सी मात्रा में रक्त निकालते हैं। फिर तकनीशियन आपके रक्त के सैंपल का विश्लेषण लैब में करते हैं और फिर रिजल्ट आने जा इंतजार करते है।
मूत्र टेस्ट : मूत्र टेस्ट के माध्यम से आपके पेशाब में प्रोटीन या खून जैसी विशिष्ट पदार्थों की जांच की जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान अस्पताल में आपको एक विशेष कंटेनर में पेशाब करना होता है। फिर तकनीशियन आपके मूत्र सैंपल का विश्लेषण लैब में करते हैं।
इमेजिंग टेस्ट : इमेजिंग टेस्ट उस टेस्ट को कहते हैं जो किसी व्यक्ति के शरीर का चित्रण लेता हैं। आमतौर पर जहां Kidney Failure के मामले में डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट का उपयोग करते हैं क्योंकि इस टेस्ट की मदद से किडनी की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। Kidney Failure की जांच के लिए कुछ सामान्य इमेजिंग टेस्ट में किडनी अल्ट्रासाउंड, सीटी यूरोग्राम और एमआरआई शामिल हैं।
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किडनी फेल (Kidney Failure) का इलाज कैसे किया जाता है?
किडनी फेल होने पर मरीज का उपचार उसकी समस्या के कारण और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि आपकी किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर रही हैं, तो आपको अपने स्वास्थ्य ट्रैक करने और किडनी कार्यक्षमता को जीवित रखने के लिए डॉक्टर कई अलग-अलग तरीकों का उपयोग कर सकता है। इन तरीकों में शामिल हैं:
- नियमित ब्लड टेस्ट।
- ब्लड प्रेशर जांच।
- दवाओं का सेवन।
यदि आपकी किडनी फेल हो चुकी हैं, तो आपको जीवित रहने के लिए उपचार की जरूरत है। किडनी फेल (Kidney Failure) होने पर मुख्यत: दो तरह का उपचार किया जाता हैं। डायलिसिस एंव किडनी ट्रांस्प्लांट, हालंकि डायलिसिस दो तरह के होते है जिनकी जानकारी नीचे दी गयी है :
डायलिसिस : डायलिसिस मरीज के शरीर के रक्त को फ़िल्टर करने में मदद करता है। दो तरह के डायलिसिस होते हैं, जो इस प्रकार है :
हेमोडायलिसिस : हेमोडायलिसिस प्रक्रिया में, एक मशीन नियमित रूप से आपके रक्त को साफ करती रहती है। किडनी फेल (Kidney Failure) से पीड़ित अधिकांश लोग अस्पताल या डायलिसिस क्लिनिक में तीन से चार दिनों तक हेमोडायलिसिस करवाते हैं।
पेरिटोनियल डायलिसिस : पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया में, डॉक्टर आपके पेट की लाइनिंग में एक कैथेटर से एक डायलिसिस सल्यूशन वाला बैग जोड़ता है। ये सल्यूशन बैग आपकी पेट की लाइनिंग में फ़्लो होती है, जो कि अतिरिक्त फ़्लूइड और अपशिष्ट पदार्थों को अवशोषित करती है और फिर वापस बैग में जाती है। आप घर पर भी पेरिटोनियल डायलिसिस प्राप्त कर सकते हैं।
किडनी ट्रांस्प्लांट : किडनी ट्रांस्प्लांट में, आपके शरीर में एक स्वस्थ किडनी ख़राब किडनी की जगह लगा दी जाती है। स्वस्थ किडनी (डोनर अंग) मृत दानकर्ता या जीवित दानकर्ता से प्राप्त की जा सकती है। एक स्वस्थ किडनी के साथ मरीज आसानी से अच्छी तरह से जीवन जी सकते हैं।
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किडनी फेल (Kidney Failure) के इलाज के लिए कौन सी दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं?
अगर आपकी किडनी खराब हो चुकी है या धीरे – धीरे खराब हो रही है तो डॉक्टर आपकी किडनी की स्थिति के अनुसार निम्नलिखित दवाओं में से एक या अधिक को लेने की सलाह दे सकता है:
- एंजायोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) इंहिबिटर या एंजाइटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (ARB) : ये दवाएं मरीज के ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती हैं।
- डायुरेटिक्स : ये मरीज के शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थों को हटाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- स्टैटिन्स : ये आपके कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में सहायता करती हैं।
- एरिथ्रोपोएटिन-स्टिमुलेटिंग एजेंट्स : यदि आप एनीमिया के मरीज हैं तो ये लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करती हैं।
- विटामिन डी और कैल्सिट्रियोल : ये आपकी हड्डियों को नुकसान को रोकने में मदद करती हैं।
- फास्फेट बाइंडर्स : ये आपके रक्त में अतिरिक्त फास्फोरस को हटाने का काम करती हैं।
क्या कोई व्यक्ति किडनी फेल (Kidney Failure) से ठीक हो सकता है?
जी हाँ, सही उपचार के साथ आप किडनी फेलियर को ठीक कर सकते हैं इसलिए अगर आपकी किडनी सही से काम नहीं कर रही है तो आपको जीने के लिए इलाज की सख्त जरुरत है।
किडनी फेल होने पर कब तक जिंदा रह सकते हैं?
अगर आपकी दोनों किडनी ख़राब हो चुकी है और आप डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट नहीं कराते है, तो आप कुछ दिनों या सप्ताह तक ही जीवित रह सकते हैं। हालंकि अगर आपके एक किडनी सही से काम कर रही है तो आप आसानी से अपना जीवन गुजार सकते है।
अगर आप डायलिसिस करवाते हैं, तो आप लगभग पांच से दस साल जीवित रह सकते है। इसके अलावा अगर आपको किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, और आप जीवित व्यक्ति से किडनी प्राप्त करते है तो आप बारह से बीस साल तक जीवित रह सकते है। एक मृत व्यक्ति से किडनी प्राप्त करने की स्थिति में आप लगभग आठ से बारह वर्ष तक जीवित रह सकते है।
सावधानियां और सुझाव
खराब जीवनशैली की वजह से कई रोग हो सकते हैं। अगर आप को Blood Sugar या Blood Pressure हैं तो इसकी दवाएं नियमित लें। बिना डॉक्टरी परामर्श के कोई भी दवा ने मुख्यतया दर्द निवारक दवा। वजन नियंत्रित रखें। धूम्रपान, तंबाकू व शराब का सेवन न करे, साथ ही नमक, तेल और घी का सिमित मात्रा में प्रयोग करें। मैदे से बने व्यंजन का प्रयोग न करें। अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा सिमित रखें।
NOTE- यह Article केवल किडनी फेल (Kidney Failure) से सम्बंधित है ताकि यदि आपको इस पोस्ट में बताए गए लक्षणों में से एक या अधिक लक्षण दिखाई दे तो आप समय रहते चिकित्सक से सम्पर्क कर सकें।
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